हिमाचल प्रदेश के लोकनिर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह का एक बयान और फिर राज्य सरकार की तरफ़ से उसका खंडन सुर्ख़ियों में है.
विक्रमादित्य सिंह ने कहा था कि राज्य के रेहड़ी-पटरी वाली दुकानों पर फोटोयुक्त पहचान पत्र पर लगाना अनिवार्य होगा. इस पर बाद में उनकी सफाई भी आई. बाद में राज्य सरकार ने ऐसे किसी आदेश पर रोक लगा दी.
अब सरकार की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है कि नेमप्लेट या अन्य पहचान अनिवार्य रूप से प्रदर्शित करने के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
विक्रमादित्य सिंह के बयान के बाद से राज्य सरकार और पार्टी के अंदर-बाहर दोनों तरफ़ सवाल उठाए जा रहे थे.
हालांकि विक्रमादित्य ने शुक्रवार को अपने फैसले का बचाव किया और कहा, “साफ़-सफ़ाई से जुड़े मुद्दों को सुलझाने के लिए हम इस पहचान की प्रक्रिया को लागू कर रहे हैं, जो कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के निर्देशों के अनुसार है.”
25 सितंबर को विक्रमादित्य सिंह ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, “हिमाचल में रेहड़ीधारकों के भोजनालय और फ़ास्टफ़ूड रेहड़ी पर मालिक का पहचान पत्र लगाया जाएगा, ताकि लोगों को किसी भी तरीके की परेशानी न हो. इसके लिए पिछले कल ही बैठक में निर्देश जारी कर दिए गए हैं. जय श्री राम.”
विक्रमादित्य सिंह ने उत्तर प्रदेश में दुकानों पर नेमप्लेट लगाने के निर्देश का हवाला देते हुए ये भी कहा कि हिमाचल में भी ऐसे निर्देश दिए गए हैं ताकि खाद्य सुरक्षा जैसे मामलों को गंभीरता से लिया जाए.
कांग्रेस के ही कुछ नेताओं ने इस पर आपत्ति जताई. बाद में प्रदेश सरकार ने एक बयान जारी कर विक्रमादित्य के आदेश पर रोक लगा दी.
प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने लिखित बयान में कहा कि स्ट्रीट वेंडर्स नीति के संबंध में समाज के विभिन्न वर्गों से सुझाव प्राप्त हुए हैं और इस मामले के हर पहलू पर संवेदनशीलता के साथ विचार किया जा रहा है.
बयान के अनुसार, “अभी तक प्रदेश सरकार ने विक्रेताओं द्वारा अपनी दुकानों पर नेमप्लेट या अन्य पहचान अनिवार्य रूप से प्रदर्शित करने के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया है.”
“प्रदेश सरकार स्ट्रीट वेंडर्स से संबंधित मुद्दों का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस संदर्भ में निर्णय लेने से पूर्व सभी सुझावों पर संवेदनशीलता से विचार किया जाएगा.”
विक्रमादित्य ने इससे पहले वक्फ़ बोर्ड को लेकर भी फ़ेसबुक पोस्ट पर टिप्पणी की थी और सुधार से संबंधित ख़बरों को साझा करते हुए इसे ‘हिमाचल के लिए सर्वश्रेष्ठ हित’ बताया था.